Monday, April 22, 2013

ଅନୁବାଦର ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ତଥ୍ୟ

Anubaadara gurutwa puurnn tathy

ଭାଷାକୁ ଦେଶ ସହିତ ଓ ଦେଶକୁ ବିଶ୍ୱ ସହିତ ସଂଯୋଗ କରିବାର ଏକମାତ୍ର ଅବଲମ୍ବନ ହେଉଛି ଅନୁବାଦ। ଭାଷା ସାହିତ୍ୟର ଅନ୍ୟାନ୍ୟ ବିଭାଗ ମଧ୍ୟରୁ ଏହା ସର୍ବ ଶ୍ରେଷ୍ଠ। ଏହାକୁ ଏକ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର ବିଭାଗ ବୋଲି ବିଚାର କରିବା ଅନାବଶ୍ୟକ। ଏହାର ଆବଶ୍ୟକତା ଯୁଗେ ଯୁଗେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାଷାସାହିତ୍ୟ ପାଇଁ ରହି ଆସିଛି ଏବଂ ରହିବ ମଧ୍ୟ। ଆଜିର ବିଶ୍ୱୀକରଣ କାଳରେ ଅନୁବାଦର ଆବଶ୍ୟକତା ଅଧିକ ଅନୁଭୂତ ହେଉଛି।

ପ୍ରଥମତଃ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାଷାସାହିତ୍ୟ ମୂଳ ଭାଷାରୁ ଶକ୍ତି ଓ ସାମର୍ଥ୍ୟ ଆହରଣ କରିଥାଏ, ଯେପରି ସଂସ୍କୃତରୁ ବିଭିନ୍ନ ଭାରତୀୟ ଭାଷା ଓ ଲାଟିନ୍‌ରୁ ଇଂରାଜୀ ସମେତ ୟୁରୋପୀୟ ଭାଷାସମୂହ ଏ ଶକ୍ତି ସବୁ କେବଳ ଅନୁବାଦ ଜରିଆରେ ପ୍ରାପ୍ତ ହୋଇଛି।

ଦ୍ୱୀତୀୟତଃ, ଅନୁବାଦ ଦ୍ୱାରା କେବଳ ଭାଷା ନୁହେଁ, ସାମାଜିକ ଜୀବନ, ସଂସ୍କୃତି ଓ ରାଜନୈତିକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଏହାର ଆବଶ୍ୟକତା ସମସ୍ତେ ହୃଦୟଙ୍ଗମ କରନ୍ତି।

ଭାରତ ଭଳି ଗୋଟିଏ ବହୁଭାଷୀ ଦେଶରେ କେବଳ ବିଭିନ୍ନ ଭାଷାମାନଙ୍କର ଆଦାନପ୍ରଦାନ ଦ୍ୱାରା ହିଁ ଭାରତୀୟ ସାହିତ୍ୟର ପ୍ରକୃତ ରୂପ ବିକଶିତ ହୋଇପାରିବ ଏବଂ ଜାତୀୟ ସଂହତି ସ୍ଥାପିତ କରାଯାଇ ପାରିବ। ବିଶ୍ୱ ସାହିତ୍ୟ ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ଏହା ପ୍ରଯୁଜ୍ୟ। ଲାଟିନ୍‌ ଭାଷାକୁ ଆମୂଳଚୂଳ ଅନୁବାଦ କରି ଏକଦା ଇଂରାଜୀ ସାହିତ୍ୟ କେବଳ ସୁସ୍ଥତାତା ଲାଭ କଲା ନାହିଁ; ଏହା ପରିପୁଷ୍ଟ ହୋଇ ଅମରତ୍ୱ ମଧ୍ୟ ହାସଲ କରିନେଲା। କୌଣସି ଭାଷା ମାଧ୍ୟମରେ ହିଁ ଅନୁବାଦ ସାହିତ୍ୟ ଗୋଟିଏ ପ୍ରାନ୍ତୀୟ ଭାଷାରେ ଅନୂଦିତ ହୁଏ ଆଉ ବିଶ୍ୱର କେଉଁ ଗୋଟିଏ ଗାଁ ମାଟିର ମଣିଷଟି ତା’ କଥିତ ଭାଷାରେ ଆମୋଦିତ ହୁଏ ଏହାହିଁ ତ ‘ବିଶ୍ୱ’ର ପରିକଳ୍ପନା ସାକାର ହୋଇଥିବାର ଗୋଟିଏ ବଡ଼ ପ୍ରମାଣ।

ଅନୁବାଦର ପ୍ରକାର:-

ଅନୁବାଦ ମୁଖ୍ୟତ କରିବା ପାଇଁ କେତେକ ବିଶେଷରେ ଦୃଷ୍ଠି ଦେବାକୁ ଆବଶ୍ୟକ, ଯଥା-

ପ୍ରଥମତଃ ଅନୁବାଦ ମୌଖିକ ଏବଂ ଲିଖିତ, ମିଶ୍ରିତ ବା Computer/Machine ଦ୍ୱାରା ଅନୁବାଦିତ ହୁଏ। ତେଣୁ ଅନୁବାଦ କରିବା ସମୟରେ ବିଷୟ ପ୍ରତି ଧ୍ୟାନ ଦେବାକୁ ହୁଏ।

•             ପ୍ରଶାସନିକ ଅନୁବାଦ

•             ବାନିଜ୍ୟିକ ଅନୁବାଦ

•             Computer ଅନୁବାଦ

•             ଅର୍ଥନୈତିକ ଅନୁବାଦ

•             ଆର୍ଥିକ ଅନୁବାଦ

•             ସାଧାରଣ ଅନୁବାଦ

•             ଆଇନ ଅନୁବାଦ

•             ଆକ୍ଷରିକ ଅନୁବାଦ

•             ଔଷଧିକ ଅନୁବାଦ

•             ପ୍ରଯୁକ୍ତିଗତ ଅନୁବାଦ

ପଦକ୍ଷେପ:-

ଓଡ଼ିଶା ସାହିତ୍ୟର ପ୍ରଗତି ଦିଗରେ କିଛି ପଦକ୍ଷେପ ନେଇଛନ୍ତି, ଏକବିଂଶ ଶତାବ୍ଦୀରେ ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟ ମାନଙ୍କରେ ଓଡ଼ିଆ ଭାଷା ଉନ୍ନତି ପାଇଁ ଖୋଲା ଯାଇଛି “ଭାଷା କେନ୍ଦ୍ର ବା Language Center”, ଏହା ଖୋଲିବା ପରଠାରୁ କେତେକାଂଶରେ ଓଡ଼ିଆ ସାହିତ୍ୟରେ କମ୍ପ୍ୟୁଟର ର ପ୍ରବେଶ କରିବା ସହିତ ଓଡ଼ିଆ ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀ ମାନଙ୍କର ଏହି ଆଧୁନିକ ସମାଜରେ ଅନ୍ୟ ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀଙ୍କ ନିକଟରେ ଠିଆ ହେବା ପାଇଁ ପଥଟିଏ ସୃଷ୍ଟି କରିଛି। ଏହି ବିଭାଗ ଦ୍ୱାରା ସ୍ନାତକ ଏବଂ ସ୍ନାତକୋତ୍ତରର ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀମାନଙ୍କର ପାଠସୂଚିରେ ଅନୁବାଦ ନାମକ ଏକ ପାଠ ଯୋଗ କରାଯାଇଛି। ଯାହା ଦ୍ୱାରା ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀମାନେ ଅନୁବାଦ ଜଗତରେ ଏକ ନୂତନ ସ୍ଥାନ ପାଇଛି ଏବଂ ଏହି ଉଦ୍ୟାମ ଦ୍ୱାରା ଓଡ଼ିଶା ଅନୁବାଦ ବା ଅନ୍ୟ ସାହିତ୍ୟକୁ ଓଡ଼ିଆରେ ଅନୁବାଦ କରି ପଡ଼ୋଶୀ ରାଜ୍ୟ ବା ଦେଶର ସାହିତ୍ୟରେ ପ୍ରବେଶ ଲାଗ କରେବାରେ ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀମାନଙ୍କ ଠାରୁ ଶିକ୍ଷକ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଏକ ଉଦ୍ୟାମ କରୁଛନ୍ତି। ସେହି ଏକ କ୍ଷୁଦ୍ର ଚେଷ୍ଠା ଯାହା ଦିନେ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଥିଲା, ତାହା ଏବେ ଆମର ବୃହତ୍ତର ସ୍ୱାର୍ଥକୁ ଉଜ୍ଜୀବିତ କରିବା ସହିତ ଅଧିକରୁ ଅଧିକ ଓଡ଼ିଆ ସାହିତ୍ୟିକଙ୍କୁ ଅନୁବାଦ କର୍ମରେ ଆଗ୍ରହୀ କରାଇ ପାରିଛି।

ଅନୁବାଦ କରିବା ସମୟରେ ବିଶେଷ ଦୃଷ୍ଟି:-

୧-ବିଷୟ ଅନୁସାରେ ଅନୁବାଦ।

୨-ବିଶେଷ ଭାବରେ ଅନୁବାଦ କରିବା ପାଇଁ ଦିଆଯାଇ ଥିବା ସୂଚନାକୁ ପଡ଼ିବା।

୩-ଅନୁବାଦ କରିବା ସମୟରେ ବିଶେଷ ଭାବରେ Glossary ପ୍ରତି ଧ୍ୟାନ ଦେବା ଆବଶ୍ୟକ।

ଉଦାହରଣ:-
Source
Target
Importance of Glossary usage
Capturing failed
କ୍ୟାପଚର୍ ବିଫଳ
Capture - ଉଠାନ୍ତୁ
PDF Reader
PDF  ରିଡର
Reader - ପାଠକ

ଏହି ପରିସ୍ଥିରେ ଅନୁବାଦକଙ୍କୁ ଧ୍ୟାନ ଦେବାକୁ ହେବ ଯେ Glossary ରେ ଶବ୍ଦ କ’ଣ ଦିଆଯାଇଛି। ଏହା ପରେ Glossary ରେ ଦିଆଯାଇ ଥିବା ଶବ୍ଦ ଅନୁସାରେ ଅନୁବାଦ କରାଯିବା ଆବଶ୍ୟକ। ଏହ କରାଗଲେ ଅନୁବାଦର Quality ଭଲ ହେବ। କିନ୍ତୁ କିଛି କ୍ଷେତ୍ରରେ Glossary ରେ ଦିଆଯାଇଥିବା ଶବ୍ଦକୁ ବ୍ୟବହାର କରିପାରିବା ନାହିଁ କାରଣ ବାକ୍ୟ ଅନୁସାରେ ସଠିକ ଶବ୍ଦର ପ୍ରୟୋଗ ନହେଲେ ବାକ୍ୟ ସଠିକ ଅର୍ଥର ଲୋପ ଘଟିବ।

Tuesday, January 22, 2013

অসমীয়া আৰু বাংলা ভাষাৰ মাজৰ সম্পৰ্ক


Relationship between Assamese and Bengali Language



অসমীয়া ভাষা হৈছে পূৰ্বভাৰতীয়-আৰ্য ভাষা৷এই ভাষা প্ৰধানকৈ উত্তৰ-পূব ভাৰতৰ অসমত কোৱা হয়৷ অসমৰ ৰাজ্যিক ভাষা হল অসমীয়া৷ অসমৰ বাহিৰেও পূৰ্বোত্তৰৰ অন্য ৰাজ্যসমূহতো অসমীয়া ভাষা ব্যৱহাৰ কৰা দেখা যায়যেনে-অৰুণাচলপ্ৰদেশ, মেঘালয় ,নাগালেণ্ডতাৰোপৰি দাঁতিকাষৰীয়া ভূটান, বাংলাদেশ আৰু ম্যানমাৰদৰে দেশতো অসমীয়া ভাষা ব্যৱহৃত হয় নাগালেণ্ডত অসমীয়া মিশ্ৰিত নাগামীজ ভাষা কোৱা হয়৷অসমীয়া ভাষাৰ এক সমৃদ্ধ সাহিত্য আৰু সংস্কৃতি আছে৷ গোটেই বিশ্বজুৰি কমেও তিনি কোটি মানুহে এই ভাষা ব্যৱ্হাৰ কৰে৷

বাংলা ভাষাও এটা সমৃদ্ধ ভাষা1836 চনৰ পৰা 1882 চনলৈ অসমৰ ৰাজ্যিক ভাষা বাংলা আছিল৷ বৰ্তমান বাংলাভাষা পশ্চিমবংগ, ত্ৰিপুৰা আৰু বাংলাদেশৰ মুখ্য ভাষা বিশ্বতপ্ৰায় 20 কোটি মানুহে এই ভাষা ব্যৱ্হাৰ কৰে৷ বিশ্বৰ কথিত ভাষাসমূহৰ ভিতৰত ইয়াৰ স্থান পঞ্চম৷ ভাৰতত ইয়াৰ স্থান দ্বিতীয়৷

ভাৰতবৰ্ষ এনেকুৱা এখন ৰাষ্ট্ৰ যত বিভিন্ন ভাষা, বিভিন্ন জাতি আৰু বিভিন্ন ধৰ্মৰ লোক বাস কৰে৷ এই ভাষাবোৰ বিভিন্ন ভাষা-গোষ্ঠীৰ অন্তৰ্গতভাৰতত পাঁচ প্ৰকাৰৰ ভাষা-গোষ্ঠী আছে সেইবোৰ হল আৰ্য্য, দ্ৰাবিড় অষ্ট্ৰ-এছিয়াটিক আৰু চীন-তিব্বতীয় ভাষা গোষ্ঠীআৰ্য্য ভাষা ভাৰতপ্ৰচলিত সকলোতকৈ ডাঙৰ ভাষা গোষ্ঠী এই ভাষাৰ অন্তৰ্গত ভাষাবোৰ হল-হিন্দী, অসমীয়া, বাংলা, মাৰাঠী, গুজৰাটি, পাঞ্জাৱী, উড়িয়া, উৰ্দু, নেপালী আদি দ্বিতীয়তে, দ্ৰাবিড় ভাষাগোষ্ঠী এই ভাষা বিশেষকৈ দক্ষিণ ভাৰতত ব্যৱ্হাৰ কৰা হয়৷ইয়াৰ অন্তৰ্গত ভাষাবোৰ হল-তামিল, তেলেগু, মালায়ালম, কানাড়া আদি৷ সিংহলী, কুৰমালি, চাৱৰা আদি অষ্ট্ৰ-এছিয়াটিক ভাষাগোষ্ঠীঅন্তৰ্গত৷ মূখ্যৰূপে এই ভাষা ঝাৰখণ্ড,ৰিষ্যা, পশ্চিম-বংগআৰু অসমৰ কোনো কোনো স্থানত ব্যৱহাৰ কৰা হয়৷চীন-তিব্বতীয় ভাষাগোষ্ঠীৰ অন্তৰ্গত ভাষাবোৰ হল- নগা, মিজো, মণিপুৰি, খাছী, দফলা, তাংগখূল, আও আদিএই ভাষা বিশেষকৈ উত্তৰ-পূৰ্বাঞ্চলৰ ৰাজ্য সমূহত কোৱা হয়৷ভাৰতত চীন-তিব্বতীয় ভাষা গোষ্ঠীয়েই সকলোতকৈ সৰু ভাষা গোষ্ঠী৷ইয়াৰোপৰি ভাৰতত ইণ্ডো ইউৰোপীয় ভাষাগোষ্ঠীৰো প্ৰচলন আছিল বৰ্তমান ভাৰতত প্ৰচলিত ভাষাসমূহৰ ভিতৰত কেৱল অসমীয়া ভাষাতহে এই ভাষাগোষ্ঠীৰ অনূদান দেখা যায়৷

উপৰোক্ত চৰ্চাৰ পৰা দেখা যায় যে অসমীয়া আৰু বাংলা এই দুয়োটা একে ভাষা গোষ্ঠীৰ সদস্য গতিকে এই দুয়োটা ভাষাৰ মাজত বহুতো মিল আছে৷ এই দুয়োটা ভাষা সংস্কৃত ভাষাৰ পৰা সমান্তৰালভাৱে উত্পত্তি হৈছে৷ এই দুয়োটা ভাষাৰ বৰ্ণসংখ্যা প্ৰায় সমান৷ এই দুয়োটা ভাষাৰ বৰ্ণবোৰ দেখাতো প্ৰায় একে৷ কেৱ্ল অসমীয়া ভাষাৰ বৰ্ণ বাংলা ভাষাত বেলেগ ধৰণে লিখা হয়৷ ইয়াৰ উপৰিও অসমীয়া ভাষাৰ 'বাংলাত নাইএই দুয়োটা ভাষা সংস্কৃতৰ পৰা উত্পত্তি হলেও ইয়াৰ শব্দসমূহৰ অৰ্থ সম্পূৰ্ণ বেলেগ হয়উদাহৰণস্বৰূপে অসমীয়া শব্দ যেনে-জুইআৰু পানী৷ বাংলাত এই দুটা শব্দৰ অৰ্থ হল-আগুন আৰু জল৷ অসমীয়া আৰু বাংলা ভাষাৰ ব্যাকৰণতো ব্যতিক্ৰম দেখা যায়তাৰোপৰি অসমীয়া ভাষাত নকাৰাত্মকবোধৰ বাবে বিভিন্ন ধাতুৰ প্ৰয়োগ কৰা হয়৷কিন্তু বাংলা ভাষাত নকাৰাত্মক কোনো ধাতুৰ প্ৰয়োগ নহয় অসমীয়া ভাষাত নিশ্চিয়তা বুজাবলৈ টো, জন, জনী, ডাল, খন, জোপা আদি প্ৰত্যয় প্ৰয়োগ কৰা হয় কিন্তু বাংলা ভাষাত ইয়াৰ কোনো সমতুল্য প্ৰত্যয় পোৱা নাযায়৷ অসমীয়া ভাষাৰ উচ্চাৰণ বাংলা ভাষাতকৈ ভিন্ন হয় অসমীয়া ভাষাৰ স্বৰবৰ্ণৰ উচ্চাৰণ বাংলা ভাষাৰ উচ্চাৰণতকৈ ভিন্ন হয়

অসমীয়া আৰু বাংলা দুয়োটা ভাষাৰেই বৃহত্ সাহিত্য ভাণ্ডাৰ আছে৷ আজি আমি অনুবাদৰ মাধ্যমেৰে এই দুয়োটা ভাষাৰ সাহিত্যক জানিব পাৰিছো৷ সেয়েহে অনুবাদক আমি সেতু আখ্যা দিব পাৰো৷

অসমৰ সাহিত্য-সংস্কৃতিত মিশ্ৰিত ভাৱধাৰা দেখা যায় ইয়াৰ প্ৰভাৱ ভাষাৰ ক্ষেত্ৰতো দেখা যায় অসমীয়া ভাষাত বাংলা ভাষাৰ শব্দ আৰু বাংলা ভাষাত অসমীয়া ভাষাৰ বিভিন্ন শব্দৰ প্ৰয়োগ দেখা যায় ইয়াৰ কাৰণ হৈছে এই দুয়োটা একে ভাষাগোষ্ঠীৰ অংগ
শেষত, বিভিন্ন ভাষাৰ মাজত যিমানেই পাৰ্থক্য নাথাকক কিয় ভাষাৰ উদ্দেশ্য হল শুদ্ধভাৱে আৰু সহজভাৱে কৰা সম্ভাষণ অসমীয়া আৰু বাংলা দুয়োটা ভাষায়েই সহজ আৰু সৰল যাৰ কাৰণে ইয়াক সহজে বুজিব পাৰি৷ তাৰোপৰি এই দুয়োটা ভাষা একেবাৰে নিকট সম্পৰ্কীয় ভাষানিজৰ-নিজৰ স্থানত অসমীয়া আৰু বাংলা দুয়োটা ভাষাই বিশেষ আসন দখল কৰিছে৷

বৰ্তমান সোম্যা ট্ৰান্সলেটৰ প্ৰাইভেট লিমিটেডত(দিল্লী)কোম্পানীত অসমীয়া ভাষাৰ পৰিযোজনা সমন্বয়ক ৰূপে কাৰ্য্যৰত অসমীয়া ভাষাত অনুবাদ, লেখন, সম্পাদন, সমীক্ষা আদি কাৰ্য্য কৰে।                                             

Saturday, January 12, 2013

हिंदी से असमिया अनुवाद के लिए प्रभावी सुझाव

(An effective remedy for Hindi to Assamese Translation)


असमिया भाषा का संक्षिप्त परिचय: 

    असम भारत के पूर्व प्रांत में अवस्थित है। सात बहनों के राज्यों में से यह एक प्रमुख राज्य है। असम की भाषा को असमी, असमिया, आसामी कहा जाता है। इस भाषा का संबंध आर्य भाषा परिवार से है। इसलिए इसका संबंध बांग्ला, मैथिली, उडि़या, और नेपाली से निकट का है।

    असमिया भाषा के शब्द समूह में संस्कृगत, तद्भव तथा देशज के अतिरिक्ति विदेशी भाषाओं के शब्द  भी मिलते हैं। सामान्यत: इस भाषा में तद्भव शब्दों  की ही प्रधानता है। 

प्रथम असमिया अनुवाद:
    सन 1819 ई. में अमरीकी बेप्टिस्ट पादरियों द्वारा प्रकाशित असमिया गद्य में बाईबिल के अनुवाद से असमिया अनुवाद का इतिहास तथा असमिया साहित्य  के आधुनिक काल का आरंभ माना जाता है। आगे चलकर सन 1846 ई. में इन्ही पादरियों द्वारा प्रथम असमिया पत्रिका “अरुणोदय” नामक एक मासिक पत्रिका प्रकाशित किया गया। इसके संपादक डॉ. नाथन ब्राउन थे। यह असमिया जन-जीवन के लिए “ज्ञान-सूर्य” का काम किया। इसी पत्रिका के प्रथम अंक में जान बुलियन के “पिलग्रिम प्रोग्रेस” नामक अंग्रेजी उपन्यास का असमिया अनुवाद “जात्रिकर जात्रा” (यात्री की यात्रा) प्रकाशित हुआ। इस प्रकार इस पत्रिका में विभिन्न भारतीय भाषाओं (विशेषकर अंग्रेजी, बांग्ला आदि) से अनूदित साहित्य  को महत्व देते हुए छपते थे। काल-क्रमानुसार इसी के अनुकरण पर अनेक अनूदित साहित्य, पत्रिका और अनुवादक के जन्म  हुए हैं।

असमिया अनुवादक के लिए कुछ प्रभावी सुझाव: 

    सन 1819 ई. से अब तक के समय सीमा के अदंर असमिया साहित्य और असमिया अनुवादक अनेक समस्याओं से गुजर चुके हैं। इसका कारण है सभी भाषाएं अपनी-अपनी प्रकृति तथा विशेषताओं के साथ प्रवाहित है। आप जानते है कि “भाषा बहता नीर है”। इस दिशा में अनुवादक को ऐसा होना चाहिए कि वह बिलकुल निष्पिक्ष/निरपेक्ष होकर लक्ष्य” भाषा की प्रकृति के अनुसार अनुवाद करें। निम्नलिखित रूप में असमिया अनुवादक के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं-

1.    अनुवादक को अनुवाद कार्य शुरू करने से पहले हिंदी के मूल-पाठ को कम से कम एकबार अच्छी तरह पढ़कर कथन-सार तथा शैली का अंदाजा लगा लेना चाहिए।

2.    पाठकवर्ग को पहचानकर अनुवाद करना चाहिए। हिंदी पूरे भारतवर्ष की भाषा है और असमिया एक क्षेत्रीय भाषा है। असमिया के अलावा असम में विभिन्न भाषा-भाषी (बोड़ो, कार्बी, मिचिंग, डिमाचा और अन्यह) के लोग निवास करते हैं। इसलिए असमिया भाषा-संस्कृीति के अनुसार अनुवाद होना चाहिए ताकि सिर्फ आप नहीं आपके पड़ोसी भी इसे समझे।

3.    अनुवाद करते समय अनुवादक को लोकोक्तियों और मुहावरों को पहचानना बहुत आवश्यक हैं। इसलिए अनुवादक को असमिया भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों पर अच्छी  पकड़ होनी चाहिए।

4.    असमिया अनुवादक को क्षेत्रीय या आंचलिक लहजों/रूपों (नगांव की असमिया, जोरहाटिया असमिया, बरपेटीया असमिया, खरूपेटीया असमिया, ग्वालपरिया असमिया) से बचना चाहिए। जहां तक संभव हो सके भाषा को सामान्य मानक बोलचाल वाली भाषा के करीब रखने की कोशिश करनी चाहिए।

5.    स्रोत पाठों के विचारों, विषयों, धारणाओं को व्यक्त करने वाले पदों का भावानुवाद करना चाहिए, शब्दानुवाद नहीं। इनके लिए असमिया के ऐसे शब्दों या शब्दयुग्मों  का प्रयोग करना चाहिए जो पाठक को संबंधित विषय को सबसे बढि़या तरीके से समझा पाएं, आम रोजमर्रा जीवन से कोई समतुल्य विचार ढूंढ़ कर लेने से वह शबद सबसे बेहतर काम करेगा।

6.    असमिया अनुवाद में व्यवहार के लिए मूल विदेशी शब्दों के ग्रहण में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका यथोचित बदलाव हो सके। इसके अतिरिक्त वह आम जनता द्वारा बोलने में आसान हो और उसे मौजूदा उपलब्ध अक्षरों/चिह्नों की मदद से लिखा जा सके। व्यक्तिगत सुविधा के लिए कभी भी नए अक्षर या चिह्न मत गढ़ें।

7.    अनावश्यक जटिलता से बचना चाहिए। कठिन शब्द के लिए शब्दकोश से आसान और प्रचलित शब्द  को ले लेना चाहिए। शब्‍द चुनने में कठिनाई आने पर जानकार व्यक्ति से पूछ लेना चाहिए। क्योंकि भिन्न अर्थ बताने वाले शब्द को ग्रहण करने पर आपका अनुवाद हास्यास्पोद बन सकता है।                


Friday, January 4, 2013

हिंदी अनुवाद की मांग और अनुवादक के बढ़ते कदम

Demands of Hindi Translation and Translators keep growing

अनुवाद’ संस्‍कृत का तत्‍सम शब्‍द है।प्राचीन भारत में शिक्षा-दीक्षा की मौखिक परंपरा के अनुसार गुरुजी जो कहते थे, शिष्‍य उसे दुहराते थे। उनदिनों गुरु की बात को दुहराने वाले को अनुवादक कहा जाता था।
आधुनिक साहित्य में अनुवाद शब्द के अर्थ का विकास या परिवर्तंन हो जाने के कारण प्राचीन अर्थ मान्य नहीं रह गया हैं। अब एक भाषा में लिखे या कहे हुए विषय को दूसरी भाषा में रूपांरित करना ‘अनुवाद’ कहा जाता है।
विभिन्‍न भाषाओं में अनुवाद:

‘अनुवाद’ विभिन्‍न भाषाओं के बीच का सेतु है। अंग्रेजी में इसको ‘ट्रांसलेशन’, फ्रैंस में ‘द्रुडुक्‍शन’, अरबी में ‘तर्जुमा’, तमिल में ‘मोळोपेयरपु’ और तेलुगु में ‘अनुवादमु’ तथा ‘तर्जुमा’ और कन्‍नड़ तथा मराठी में ‘अनुवाद’, पंजाबी में ‘उलथा’, ‘अनुवाद’, कश्‍मीरी में ‘तरजुमा’, सिंधी में ‘तर्जुमों’, ‘अनुवाद’ आदि कहा जाता है. इसी प्रकार मलयालम भाषा में अनुवाद के पर्याय के रूप में पोरुलितरिप्‍पू, भाषांतरं, पारिभाषिकं, अनुवादं और तर्ज्‍जमा प्रचलित हैं।
अनुवाद की परिभाषा:
दरअसल, ‘अनुवाद’ शब्‍द का संबंध ‘वद’ धातु से है, जिसका अर्थ है ‘बोलना’ या ‘कहना’। अनुवाद+वाद=अनुवाद= पुन:कथन/किसी के कहने के बादकहना। अनुवाद के संबंध में नायडो, कैटफोर्ट, फरस्‍टोन, भोलानाथ तिवारी आदि विद्वानों ने अनेक परिभाषाएं दी है।
स्रोत-भाषा में प्रसतुत रचना और लक्ष्‍य-भाषा में प्रस्‍तावित रचना के मध्‍य निकटतम, सहज समतुल्‍यता की स्थापना ही अनुवाद है।

हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)

This group does not have a welcome message.
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14 सितंबर, 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में स्‍वीकृत होने के बाद ही हिंदी अनुवादक की मांग बढ़ गयी है। यह मांग दरअसल हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए है। हिंदी अनुवादक मात्र हिंदी अनुवाद का काम करते हैं। हिंदी को विश्‍व की सभी भाषाओं की तरह महत्व दिलाने के लिए अनेक देशों के हिंदी अनुवादक संघर्षरत हैं। इस संघर्ष में हिंदी अनुवादक अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिंदी की प्रगति के लिए हमें मिल-जुलकर प्रयत्‍न करना होगा। मानक हिंदी, व्याकरण आदि से संबंधित ऐसे अनेक प्रश्‍न हैं जिन पर विचार-विमर्श करना आवश्यक है। भाषा गतिशील होती है। व्याकरण भी समय के साथ बदलता है। आज इंटरनेट के माध्यम से अपने विचार दूसरों तक पहुँचाना बहुत आसान हो गया है। आशा है कि इस समूह के सदस्य भाषा के संदर्भ में यथास्थितिवाद का विरोध करते हुए संवाद और विचार-विमर्श की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में हिंदी अनुवादक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
हिंदी अनुवाद सेवाएं:
          विश्‍व भर में अनेक कंपनियांअंग्रेज़ी से हिंदी व हिंदी से अंग्रेज़ी अनुवाद सेवाएँ उपलब्ध कराती हैइनके द्वारा किया गया हिंदी अनुवाद पेशेवर स्तर का होता है और ये ग्राहकों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने की गारंटी लेते हैं।उचित कीमत पर ये हमें सर्वोत्तम हिंदी अनुवाद सेवाओं का अनुभव प्रदान करते हैं।अनेक हिंदी अनुवादकों को हिंदी भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त है।क्योंकि हिंदी हमारी राजभाषा है, अत: ये विशेष रूप से हिंदी भाषी की प्रन्‍नोती हेतु हिंदी अनुवाद कार्य कराने में प्रतिज्ञाबद्ध है। ये समयसीमा को ध्यान रखेते हुए उत्‍कृष्‍ठ हिंदी अनुवाद संवाएं प्रदान करते है।
अंग्रेजी-हिंदी के अनुवादक:
        अनुवाद एक चुनौपूर्ण काम है। इसदौर से सभी भाषाओं के अनुवादक को गुजरना होता है।अनुवाद कार्य में प्रवृत्‍त होने के पूर्व अनुवादक को स्रोत भाषा और लक्ष्‍य भाषा का पर्याप्‍त ज्ञान होना चाहिए। अन्‍य भारतीय भाषाओं के मुकाबले अंग्रेजी-हिंदी में अनुवाद कार्य में बहुत अधिक सतर्क रहना पड़ता है। क्‍योंकि अंग्रेजी एवं हिंदी के संरचना ढांचे पर्याप्‍त भिन्‍न है। एक ही उत्‍स से निकली स्रोत और लक्ष्‍य भाषा की संरचना लगभग एक जैसा ही है; जैसे हिंदी-पंजाबी, हिंदी-उर्दू, मराठी-गुजराती आदि की।
निष्‍कर्ष:
अनुवाद-कर्म राष्ट्र सेवा का कर्म है। यह अनुवादक ही कर सकता है जो दो संस्कृतियों, राज्यों, देशों एवं विचारधाराओं के बीच सेतुका काम करता है।