Saturday, January 16, 2010

Translation : Art or Science


Since time immemorial, human beings have yearned for knowledge. Inventions of fire by flinting two stones and then of wheel, were the most revolutionary inventions of history. These inventions led human beings settle down in a group, making the framework of a society. With the formation of society came the apparent urge of acquiring knowledge and sharing it. In today’s world, communication between different nations with different languages is feasible through translation.

Translation is putting some content into the words of a different language; maintaining the spirit of the source language. In the same way, Pinhhuck (1977: 38) defines translation as "a process of finding a Target Language equivalent of the Source Language.

Is translation a scientific study or artistic endeavor, researchable theory or technical craft, a branch of linguistics or of literature? Being utilized as a means to act as a bridge between two cultures, translation seems to be a complicated and multi-faceted activity or phenomenon.

According to Benjamin (1923), the twentieth century has been called the age of 'reproduction' or, as Jumplet (1923) points out 'the age of translation' (as cited in Newmark, 1988a:1); however, the constant debate as to whether translation is an art or science has a long history. Some scholars may argue that translation is a process of creative thinking; consequently, it is subjective and cannot be systematized by laws.

As Savory (1957:49) claim, "it would almost be true to say that there are no universally accepted principles of translation, because the only people qualified to formulate them have never agreed among themselves"; therefore, he does not tend to consider translation as a science.

According to Kelly (1979:51), Hieronymus (also known as St. Jerome, 4th century A.D) as well as others followed Cicero's 9106-43 B.C) claim constantly that translation was a branch of oratory, and Holmes (1979a:23), specifying two branches of translation studies, namely pure and applied, points out that the aim of pure translation studies is to describe the phenomenon of translation and to investigate all related aspects of it; however, applied translation studies focus on the application of translation theories to such aspects of translation as translation practice, the teaching and learning of translation.

He believes that all factions of translation are interrelated and their relationship is dialectical; however, Toury (1995:7) puts forward that the relationship between pure and applied translation studies is unidirectional--theoretical studies serve as a nurturing source for the applied studies. Furthermore, Toury (1982:7) believes that translation, as a cognitive science, has to reach beyond linguistics, and calls it "interdisciplinary"; consequently, it seems that he considers translation a science. This science seems to be warmly welcomed by some scholars in the form of 'word for word.' For instance, Norton (1984:59) quotes Horace (65-8 B.C) to state that, "it is the duty of a faithful interpreter to translate what he undertakes word for word."

Nevertheless, Chukovskii (1984:93) does not take translation into consideration as a science when he confirms that, "translation is not only an art, but a high art." Moreover, Newmark (1988a), referring to translation as "a craft" Some scholars consider translation a science. Though the most salient features of a field of science are precision and predictability, Berkeley (1991:83) notes that some sciences, principally those dealing with the humanities, do not attain a one hundred percent predictability level. However, Baker (1998:4) points out that translation is a separate academic discipline which, "like any young discipline, needs to draw on the findings and theories of the other related disciplines in order to develop and formulate its own methods." Nevertheless, distinguishing between science and translation, Karra (2000:1) writes that "my colleagues never understood why I chose the world of translation over science."

Translation is an art, not a science; like most arts, it is a lot more complicated than it looks. (Translation, 2005:2)

Translation studies can be regarded as a science. However, if we take the product of translation into account, it seems rational to think of it as a craft or art. Whether translation is regarded as a science, art, or craft, it seems significant to note that a good translation should play the same role in the TL as the original did in the SL.

अनुवाद की समस्याएं और चुनौतियां

अनुवाद की प्रामाणिकता, भाषा और सटीकता पर प्रश्नचिह्न लगाए जाने के बावजूद यह स्पष्ट है कि अनुवाद वर्तमान समाज की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है। इसी कारण आज अनुवाद पर स्वतंत्र विधा के रूप में विचार किया जा रहा है। वर्तमान वैज्ञानिक तथा औद्योगिक उन्नति तथा संचार और क्रान्ति के युग में अनुवाद और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। टेक्नोलॉजी तथा सूचना के क्षेत्र में प्रत्येक राष्ट्र और समाज शीघ्रातिशीघ्र उन्नति के लिए प्रयासरत है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में यह अनिवार्य हो गया है कि विभिन्न भाषाओं में तुरन्त अनुवाद की व्यवस्था उपलब्ध हो। आधुनिक सामाजिक व्यवस्था में त्वरित अनुवाद के महत्त्व को देखते हुए कम्प्यूटरीकृत अनुवाद के क्षेत्र में भी अनुसंधान किए जा रहे हैं।

आमतौर से, एक भाषा की किसी सामग्री का दूसरी भाषा में रूपान्तर ही अनुवाद है। इस तरह अनुवाद का कार्य है - एक भाषा में व्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में व्यक्त करना है। लेकिन इसे व्यक्त करना सरल काम नहीं है। हर एक भाषा की अपनी विशेषताएं होती हैं, जो अन्य भाषा से कुछ या पूर्णतः भिन्न होती है। अनुवाद करते समय अनुवादक को यह ध्यान रखना होगा कि मूल भाषा के भाव को अनूदित भाषा में पूर्णतः उतारा गया हो। पूर्णतः भाव का मतलब है कि मूल भाषा की सामग्री व अनूदित भाषा की सामग्री पढने से यह प्रतीत नहीं होना चाहिए कि यह अनूदित कृति है। कम से कम मूल भाषा व स्रोत भाषा में निकटता होनी चाहिए। समानता की यह निकटता जितनी अधिक होती है, अनुवाद उतना ही अच्छा और सफल होता है।

अनुवाद की समस्या द्विभाषकीय है, इसके लिये उन दो भाषाओं का पूर्ण ज्ञान अपेक्षित है जिससे और जिसमें अनुवाद होता है। यह समस्या मूलतः दुभाषिये की है। इसका तात्पर्य यह है कि अनुवादक का दो भाषाओं पर इतना अधिकार होना चाहिये कि वह दोनों पक्षों का ठीक-ठीक ज्ञान रखते हुए संबोधित कर सके और समझा सके। भाषा का एक स्वभाव बन जाता है जिसे संस्कार कहते हैं। अनुवाद शैली से विजातीय भाषा को सीखकर मनुष्य धीरे-धीरे स्वभाव अर्जित करता है और अभ्यास बन जाने पर वह कभी-कभी अपने आपको दो नावों पर सवार अनुभव करता है।

अभ्यस्त भाषाम में, हमारा ध्यान लिखने, पढने और बोलने में उन कठिनाइयों की ओर नहीं जाता जो भाषा की संरचना से जुड़ी होत हीं। भावनाओं का प्रकाशन स्वतः प्रवाह में होता चलता है। हम धारा के किसी क्षण में रुककर तल में अन्तर्निहित भावना को देखने का प्रयास नहीं करते। यह तथ्य सजातीय भाषा के लिए अत्यन्त स्वाभाविक है। इसकी समस्या स्वभाषा अनुवाद परिभाषा को विजातीय भाषा की शब्दावली को स्वभाषा में व्यक्त करना है। इसके लिए उस भाषा की भावना का ज्ञान अपेक्षित होता है। उसके अनन्तर उसी के समकक्ष भाव और विचार व्यक्त करने वाले शब्द या वाक्य को स्वभाषा में खोजना पडता है। अनुवाद की वही मूल समस्या है।

भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से अनुवाद की समस्या के दो पहलू हैं। एक है द्विभाषकीय रूपान्तरण और दूसरा है भाव रूपान्तरण। दोनों एक दूसरे के पूरक होकर आते हैं। द्विभाषकीय शैली से किया हुआ अनुवाद शुद्ध रूप मंल शब्दानुवाद होता है, जिसमें तुलनात्मक भाषा विज्ञान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई बार ऐसा होता है कि एक परिवार की दो भाषाओं में अनुवाद बडी सरलता से हो जाता है। उदाहरणार्थ, जर्मन और इंग्लिश भाषाएं, ग्रीक परम्परा से जुडी होने के कारण परस्पर शाब्दिक लेन-देन भी कर सकती है और जहाँ वैसा सम्भव न हो वहाँ मूल ग्रीक शब्दावली से अपना शब्द बना सकती है।

प्रत्येक भाषा में वाक्य की कुछ इकाइयां होती हैं जिनसे उनकी संरचना होती है। पदों से बनने वाले वाक्यांश वाक्य के घटक बनते हैं और एक वाक्य दूसरे वाक्य के साथ समन्वय प्राप्त करके एक वाक्यता लेता है। कोई आदेश, निर्देश या उपदेश अपनी समग्र विषय-वस्तु के साथ एक महाकाव्य बन जाता है। अनुवादक को विषय वस्तु पर ध्यान रखकर शब्द योजना, वाक्य रचना और समन्वय की व्यवस्था करनी होती है। जाहिर है यह प्रश्न जितना द्विभाषकीय लगता है उससे कहीं अधिक भाव रूपान्तरण का है। भाव रूपान्तरण का सम्बन्ध सामाजिक द्विभाषकी से है। हमारे देश के संदर्भ में ऐतिहासिक दृष्टि से यह समस्या ईस्ट इण्डिया के समय से भारत में ही जन्म लेकर विकसित हुई। मैकाले के प्रयासों से भारत में अंग्रेजी की प्रशासन की भाषा होने का अवसर प्राप्त हुआ जिसके कारण प्रशासनिक कामकाज में अनुवाद शिथिल बना दिया गया था। सामान्यतया ऐसे प्रत्येक देश में अनुवाद की समस्या आती है जहाँ दो या दो से अधिक भाषाएं प्रशासन में कार्यरत होती है। स्विटजरलैंड इसका आदर्श उदाहरण है, वहाँ प्रशासन में चलने वाली तीनों भाषाएं एक ही परिवार की होने के कारण भारत के समान जटिलता नहीं उत्पन्न करतीं।

इन समस्याओं का समाधान सरल नहीं है। बहुत से शब्दों के समानार्थक शब्द दूसरी भाषा में होते ही नहीं हैं। नीम के लिए अंग्रेजी भाषा में तथा लिली के लिए हिन्दी भाषा में शब्द नहीं है। यह परेशानी तब और बढ जाती है जब प्रशासनिक शब्दावली का अनुवाद करना पडता है। ऐसे व्यक्तियों को इस तरह के अनुवाद में कृत्रिमता अनुभव होती है, जिनकी जुबान पर मूलभाषा का शब्द चढ चुका होता है। उदाहरणार्थ, यूनिवर्सिटी को सही या गलत ढंग से सभी बोल लेते हैं, कचहरी, मदरसा, फालतू आदि प्रचलित शब्द रहे हैं। पालतू पशुओं को मवेशी कहा जाता रहा है। इन और इन जैसे प्रचलित शब्दों के लिए जहाँ तक हो नये शब्दों की खोज नहीं करनी चाहिये।

सुभाष चंद्र
हिंदी अनुवादक

Translation Company

Machine Translation

"A renewed international effort is gearing up to design computers and software that smash language barriers and create a borderless global marketplace."

Machine translation (MT) is a procedure whereby a computer program analyzes a source text and produces a target text without further human involvement. In point of fact, machine translation typically does involve human intervention, in the form of pre-editing and post-editing. An exception to that rule might be, e.g., the translation of technical specifications (strings of technical terms and adjectives), using a dictionary-based machine-translation system.

So far, machine translation a major goal of natural-language processing has met with limited success. A November 6, 2007, example illustrates the hazards of uncritical reliance on machine translation. Machine translation has been brought to a large public by tools available on the Internet, such as Google, Babylon, Wikipedia etc. These tools produce a "gisting translation" a rough translation that, with luck, "gives the gist" of the source text.

With proper terminology work, with preparation of the source text for machine translation (pre-editing), and with re-working of the machine translation by a professional human translator (post-editing), commercial machine-translation tools can produce useful results, especially if the machine-translation system is integrated with a translation-memory or globalization-management system.

In regard to texts with limited ranges of vocabulary and simple sentence structure (e.g., weather reports), machine translation can deliver results that do not require much human intervention to be useful. Also, the use of a controlled language, combined with a machine-translation tool, will typically generate largely comprehensible translations.

Perspective of IT and Telecommunication Translation



Present Time is the time of Globalization. In the current scenario every country is carrying equal level of perception and thinking about its culture, state and business. Today one's loss or profit is connected to others loss or profit. One of the biggest examples of this is Economic Showdown. At this time, every country need to share there information, culture, and past experiences with another country. It’s not only benefited for their business but also it is beneficial for future steps of development and mutual growth.

Currently, there are many types of translation, but the scope of technical translation is becoming so popular that it seem difficult to assess the border. For this new software and new telecom device is being developed constantly. But the native people of other country can not understand the functionality of that device, machine. To solve it we need to render the information from one technical language to other technical language. It’s called IT/Telecom translation.

In this domain of translation there are more fields. Very first is the Hardware, It means that, when exploring any Hardware device, like HP LaserJet, other people may find it difficult to understand the ways of operating the device, most of the time they need the manual in their native language. Hence to make the manual and operating methods readable and understandable Hardware translation is needed.

Second one is Software translation, its purpose of translation is also same as above, but Web Site Localization is also an important pillar of IT/Telecom Translation Industry. As today, the use of internet is growing by the speed of light; hence giving a broad scope of exposure. For the same, every company is making their web site, and making it localized in local language. So that, people of any country know and understand them. By this, it becomes the fastest way to spread information of the company.

And the last field of this domain is Telecom Industry. In this part the content and manuals of device like Mobile, Fax machine, and Wireless get translated. Today these devices are being counted as one of the important need of human being. Irrespective of there knowledge of English or any other foreign language, they use it. But to use them, they need to understand the methods provided in the manual, and for the same they Telecom Translation is coming in use.

To make the translation easier and approachable there are many Company, Agency and Freelancers handling the translations of these fields. And Somya Translators Pvt Ltd is one of the solutions provider for all of these translation issue.