Demands of Hindi
Translation and Translators keep growing
‘अनुवाद’ संस्कृत का तत्सम शब्द
है।प्राचीन भारत में शिक्षा-दीक्षा की मौखिक परंपरा के अनुसार गुरुजी जो कहते थे,
शिष्य उसे दुहराते थे। उनदिनों गुरु की बात को दुहराने वाले को अनुवादक कहा जाता
था।
आधुनिक साहित्य में अनुवाद
शब्द के अर्थ का विकास या परिवर्तंन हो जाने के कारण प्राचीन अर्थ मान्य नहीं रह गया
हैं। अब एक भाषा में लिखे या कहे हुए विषय को दूसरी भाषा में रूपांरित करना ‘अनुवाद’
कहा जाता है।
विभिन्न
भाषाओं में अनुवाद:
‘अनुवाद’ विभिन्न भाषाओं के बीच का सेतु है। अंग्रेजी में इसको
‘ट्रांसलेशन’, फ्रैंस में ‘द्रुडुक्शन’, अरबी में ‘तर्जुमा’, तमिल में
‘मोळोपेयरपु’ और तेलुगु में ‘अनुवादमु’ तथा ‘तर्जुमा’ और कन्नड़ तथा मराठी में
‘अनुवाद’, पंजाबी में ‘उलथा’, ‘अनुवाद’, कश्मीरी में ‘तरजुमा’, सिंधी में
‘तर्जुमों’, ‘अनुवाद’ आदि कहा जाता है. इसी प्रकार मलयालम भाषा में अनुवाद के
पर्याय के रूप में पोरुलितरिप्पू, भाषांतरं, पारिभाषिकं, अनुवादं और तर्ज्जमा प्रचलित
हैं।
अनुवाद
की परिभाषा:
दरअसल, ‘अनुवाद’ शब्द का
संबंध ‘वद’ धातु से है, जिसका अर्थ है ‘बोलना’ या ‘कहना’। अनुवाद+वाद=अनुवाद=
पुन:कथन/किसी के कहने के बादकहना। अनुवाद के संबंध में नायडो, कैटफोर्ट, फरस्टोन,
भोलानाथ तिवारी आदि विद्वानों ने अनेक परिभाषाएं दी है।
“स्रोत-भाषा में प्रसतुत रचना और लक्ष्य-भाषा में
प्रस्तावित रचना के मध्य निकटतम, सहज समतुल्यता की स्थापना ही अनुवाद है।”
This group does not have a welcome message.
14
14 ाि
14 सितंबर, 1949 को हिंदी भाषा
को राजभाषा के रूप में स्वीकृत होने के बाद ही हिंदी अनुवादक की मांग बढ़ गयी है। यह
मांग दरअसल हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए है। हिंदी अनुवादक मात्र हिंदी अनुवाद
का काम करते हैं। हिंदी को विश्व की सभी भाषाओं की तरह महत्व दिलाने के लिए अनेक
देशों के हिंदी अनुवादक संघर्षरत हैं। इस संघर्ष में हिंदी अनुवादक अपनी भूमिका
निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिंदी की प्रगति के लिए हमें मिल-जुलकर
प्रयत्न करना होगा। मानक हिंदी, व्याकरण आदि से संबंधित ऐसे अनेक
प्रश्न हैं जिन पर विचार-विमर्श करना आवश्यक है। भाषा गतिशील होती है। व्याकरण भी
समय के साथ बदलता है। आज इंटरनेट के माध्यम से अपने विचार दूसरों तक पहुँचाना बहुत
आसान हो गया है। आशा है कि इस समूह के सदस्य भाषा के संदर्भ में यथास्थितिवाद का
विरोध करते हुए संवाद और विचार-विमर्श की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में हिंदी
अनुवादक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
हिंदी
अनुवाद सेवाएं:
विश्व भर में अनेक कंपनियांअंग्रेज़ी से हिंदी व हिंदी से अंग्रेज़ी अनुवाद
सेवाएँ उपलब्ध कराती है।इनके द्वारा किया गया हिंदी अनुवाद पेशेवर स्तर का होता है
और ये ग्राहकों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने की गारंटी लेते हैं।उचित कीमत पर
ये हमें सर्वोत्तम हिंदी अनुवाद सेवाओं का अनुभव प्रदान करते हैं।अनेक हिंदी
अनुवादकों को हिंदी भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त है।क्योंकि हिंदी हमारी राजभाषा
है, अत: ये विशेष रूप से हिंदी भाषी की
प्रन्नोती हेतु हिंदी अनुवाद कार्य कराने में प्रतिज्ञाबद्ध है। ये समयसीमा को
ध्यान रखेते हुए उत्कृष्ठ हिंदी अनुवाद संवाएं प्रदान करते है।
अंग्रेजी-हिंदी
के अनुवादक:
अनुवाद एक चुनौपूर्ण काम है। इसदौर से सभी भाषाओं के
अनुवादक को गुजरना होता है।अनुवाद कार्य में प्रवृत्त होने के पूर्व अनुवादक को
स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। अन्य भारतीय भाषाओं
के मुकाबले अंग्रेजी-हिंदी में अनुवाद कार्य में बहुत अधिक सतर्क रहना पड़ता है। क्योंकि
अंग्रेजी एवं हिंदी के संरचना ढांचे पर्याप्त भिन्न है। एक ही उत्स से निकली
स्रोत और लक्ष्य भाषा की संरचना लगभग एक जैसा ही है; जैसे हिंदी-पंजाबी,
हिंदी-उर्दू, मराठी-गुजराती आदि की।
निष्कर्ष:
अनुवाद-कर्म राष्ट्र सेवा का कर्म है। यह अनुवादक ही कर सकता
है जो दो संस्कृतियों, राज्यों, देशों एवं विचारधाराओं के बीच ‘सेतु’ का काम करता है।