Saturday, January 12, 2013

हिंदी से असमिया अनुवाद के लिए प्रभावी सुझाव

(An effective remedy for Hindi to Assamese Translation)


असमिया भाषा का संक्षिप्त परिचय: 

    असम भारत के पूर्व प्रांत में अवस्थित है। सात बहनों के राज्यों में से यह एक प्रमुख राज्य है। असम की भाषा को असमी, असमिया, आसामी कहा जाता है। इस भाषा का संबंध आर्य भाषा परिवार से है। इसलिए इसका संबंध बांग्ला, मैथिली, उडि़या, और नेपाली से निकट का है।

    असमिया भाषा के शब्द समूह में संस्कृगत, तद्भव तथा देशज के अतिरिक्ति विदेशी भाषाओं के शब्द  भी मिलते हैं। सामान्यत: इस भाषा में तद्भव शब्दों  की ही प्रधानता है। 

प्रथम असमिया अनुवाद:
    सन 1819 ई. में अमरीकी बेप्टिस्ट पादरियों द्वारा प्रकाशित असमिया गद्य में बाईबिल के अनुवाद से असमिया अनुवाद का इतिहास तथा असमिया साहित्य  के आधुनिक काल का आरंभ माना जाता है। आगे चलकर सन 1846 ई. में इन्ही पादरियों द्वारा प्रथम असमिया पत्रिका “अरुणोदय” नामक एक मासिक पत्रिका प्रकाशित किया गया। इसके संपादक डॉ. नाथन ब्राउन थे। यह असमिया जन-जीवन के लिए “ज्ञान-सूर्य” का काम किया। इसी पत्रिका के प्रथम अंक में जान बुलियन के “पिलग्रिम प्रोग्रेस” नामक अंग्रेजी उपन्यास का असमिया अनुवाद “जात्रिकर जात्रा” (यात्री की यात्रा) प्रकाशित हुआ। इस प्रकार इस पत्रिका में विभिन्न भारतीय भाषाओं (विशेषकर अंग्रेजी, बांग्ला आदि) से अनूदित साहित्य  को महत्व देते हुए छपते थे। काल-क्रमानुसार इसी के अनुकरण पर अनेक अनूदित साहित्य, पत्रिका और अनुवादक के जन्म  हुए हैं।

असमिया अनुवादक के लिए कुछ प्रभावी सुझाव: 

    सन 1819 ई. से अब तक के समय सीमा के अदंर असमिया साहित्य और असमिया अनुवादक अनेक समस्याओं से गुजर चुके हैं। इसका कारण है सभी भाषाएं अपनी-अपनी प्रकृति तथा विशेषताओं के साथ प्रवाहित है। आप जानते है कि “भाषा बहता नीर है”। इस दिशा में अनुवादक को ऐसा होना चाहिए कि वह बिलकुल निष्पिक्ष/निरपेक्ष होकर लक्ष्य” भाषा की प्रकृति के अनुसार अनुवाद करें। निम्नलिखित रूप में असमिया अनुवादक के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं-

1.    अनुवादक को अनुवाद कार्य शुरू करने से पहले हिंदी के मूल-पाठ को कम से कम एकबार अच्छी तरह पढ़कर कथन-सार तथा शैली का अंदाजा लगा लेना चाहिए।

2.    पाठकवर्ग को पहचानकर अनुवाद करना चाहिए। हिंदी पूरे भारतवर्ष की भाषा है और असमिया एक क्षेत्रीय भाषा है। असमिया के अलावा असम में विभिन्न भाषा-भाषी (बोड़ो, कार्बी, मिचिंग, डिमाचा और अन्यह) के लोग निवास करते हैं। इसलिए असमिया भाषा-संस्कृीति के अनुसार अनुवाद होना चाहिए ताकि सिर्फ आप नहीं आपके पड़ोसी भी इसे समझे।

3.    अनुवाद करते समय अनुवादक को लोकोक्तियों और मुहावरों को पहचानना बहुत आवश्यक हैं। इसलिए अनुवादक को असमिया भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों पर अच्छी  पकड़ होनी चाहिए।

4.    असमिया अनुवादक को क्षेत्रीय या आंचलिक लहजों/रूपों (नगांव की असमिया, जोरहाटिया असमिया, बरपेटीया असमिया, खरूपेटीया असमिया, ग्वालपरिया असमिया) से बचना चाहिए। जहां तक संभव हो सके भाषा को सामान्य मानक बोलचाल वाली भाषा के करीब रखने की कोशिश करनी चाहिए।

5.    स्रोत पाठों के विचारों, विषयों, धारणाओं को व्यक्त करने वाले पदों का भावानुवाद करना चाहिए, शब्दानुवाद नहीं। इनके लिए असमिया के ऐसे शब्दों या शब्दयुग्मों  का प्रयोग करना चाहिए जो पाठक को संबंधित विषय को सबसे बढि़या तरीके से समझा पाएं, आम रोजमर्रा जीवन से कोई समतुल्य विचार ढूंढ़ कर लेने से वह शबद सबसे बेहतर काम करेगा।

6.    असमिया अनुवाद में व्यवहार के लिए मूल विदेशी शब्दों के ग्रहण में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका यथोचित बदलाव हो सके। इसके अतिरिक्त वह आम जनता द्वारा बोलने में आसान हो और उसे मौजूदा उपलब्ध अक्षरों/चिह्नों की मदद से लिखा जा सके। व्यक्तिगत सुविधा के लिए कभी भी नए अक्षर या चिह्न मत गढ़ें।

7.    अनावश्यक जटिलता से बचना चाहिए। कठिन शब्द के लिए शब्दकोश से आसान और प्रचलित शब्द  को ले लेना चाहिए। शब्‍द चुनने में कठिनाई आने पर जानकार व्यक्ति से पूछ लेना चाहिए। क्योंकि भिन्न अर्थ बताने वाले शब्द को ग्रहण करने पर आपका अनुवाद हास्यास्पोद बन सकता है।                


Friday, January 4, 2013

हिंदी अनुवाद की मांग और अनुवादक के बढ़ते कदम

Demands of Hindi Translation and Translators keep growing

अनुवाद’ संस्‍कृत का तत्‍सम शब्‍द है।प्राचीन भारत में शिक्षा-दीक्षा की मौखिक परंपरा के अनुसार गुरुजी जो कहते थे, शिष्‍य उसे दुहराते थे। उनदिनों गुरु की बात को दुहराने वाले को अनुवादक कहा जाता था।
आधुनिक साहित्य में अनुवाद शब्द के अर्थ का विकास या परिवर्तंन हो जाने के कारण प्राचीन अर्थ मान्य नहीं रह गया हैं। अब एक भाषा में लिखे या कहे हुए विषय को दूसरी भाषा में रूपांरित करना ‘अनुवाद’ कहा जाता है।
विभिन्‍न भाषाओं में अनुवाद:

‘अनुवाद’ विभिन्‍न भाषाओं के बीच का सेतु है। अंग्रेजी में इसको ‘ट्रांसलेशन’, फ्रैंस में ‘द्रुडुक्‍शन’, अरबी में ‘तर्जुमा’, तमिल में ‘मोळोपेयरपु’ और तेलुगु में ‘अनुवादमु’ तथा ‘तर्जुमा’ और कन्‍नड़ तथा मराठी में ‘अनुवाद’, पंजाबी में ‘उलथा’, ‘अनुवाद’, कश्‍मीरी में ‘तरजुमा’, सिंधी में ‘तर्जुमों’, ‘अनुवाद’ आदि कहा जाता है. इसी प्रकार मलयालम भाषा में अनुवाद के पर्याय के रूप में पोरुलितरिप्‍पू, भाषांतरं, पारिभाषिकं, अनुवादं और तर्ज्‍जमा प्रचलित हैं।
अनुवाद की परिभाषा:
दरअसल, ‘अनुवाद’ शब्‍द का संबंध ‘वद’ धातु से है, जिसका अर्थ है ‘बोलना’ या ‘कहना’। अनुवाद+वाद=अनुवाद= पुन:कथन/किसी के कहने के बादकहना। अनुवाद के संबंध में नायडो, कैटफोर्ट, फरस्‍टोन, भोलानाथ तिवारी आदि विद्वानों ने अनेक परिभाषाएं दी है।
स्रोत-भाषा में प्रसतुत रचना और लक्ष्‍य-भाषा में प्रस्‍तावित रचना के मध्‍य निकटतम, सहज समतुल्‍यता की स्थापना ही अनुवाद है।

हिंदी अनुवादक (Hindi Translators)

This group does not have a welcome message.
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14 सितंबर, 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में स्‍वीकृत होने के बाद ही हिंदी अनुवादक की मांग बढ़ गयी है। यह मांग दरअसल हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए है। हिंदी अनुवादक मात्र हिंदी अनुवाद का काम करते हैं। हिंदी को विश्‍व की सभी भाषाओं की तरह महत्व दिलाने के लिए अनेक देशों के हिंदी अनुवादक संघर्षरत हैं। इस संघर्ष में हिंदी अनुवादक अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिंदी की प्रगति के लिए हमें मिल-जुलकर प्रयत्‍न करना होगा। मानक हिंदी, व्याकरण आदि से संबंधित ऐसे अनेक प्रश्‍न हैं जिन पर विचार-विमर्श करना आवश्यक है। भाषा गतिशील होती है। व्याकरण भी समय के साथ बदलता है। आज इंटरनेट के माध्यम से अपने विचार दूसरों तक पहुँचाना बहुत आसान हो गया है। आशा है कि इस समूह के सदस्य भाषा के संदर्भ में यथास्थितिवाद का विरोध करते हुए संवाद और विचार-विमर्श की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में हिंदी अनुवादक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
हिंदी अनुवाद सेवाएं:
          विश्‍व भर में अनेक कंपनियांअंग्रेज़ी से हिंदी व हिंदी से अंग्रेज़ी अनुवाद सेवाएँ उपलब्ध कराती हैइनके द्वारा किया गया हिंदी अनुवाद पेशेवर स्तर का होता है और ये ग्राहकों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने की गारंटी लेते हैं।उचित कीमत पर ये हमें सर्वोत्तम हिंदी अनुवाद सेवाओं का अनुभव प्रदान करते हैं।अनेक हिंदी अनुवादकों को हिंदी भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त है।क्योंकि हिंदी हमारी राजभाषा है, अत: ये विशेष रूप से हिंदी भाषी की प्रन्‍नोती हेतु हिंदी अनुवाद कार्य कराने में प्रतिज्ञाबद्ध है। ये समयसीमा को ध्यान रखेते हुए उत्‍कृष्‍ठ हिंदी अनुवाद संवाएं प्रदान करते है।
अंग्रेजी-हिंदी के अनुवादक:
        अनुवाद एक चुनौपूर्ण काम है। इसदौर से सभी भाषाओं के अनुवादक को गुजरना होता है।अनुवाद कार्य में प्रवृत्‍त होने के पूर्व अनुवादक को स्रोत भाषा और लक्ष्‍य भाषा का पर्याप्‍त ज्ञान होना चाहिए। अन्‍य भारतीय भाषाओं के मुकाबले अंग्रेजी-हिंदी में अनुवाद कार्य में बहुत अधिक सतर्क रहना पड़ता है। क्‍योंकि अंग्रेजी एवं हिंदी के संरचना ढांचे पर्याप्‍त भिन्‍न है। एक ही उत्‍स से निकली स्रोत और लक्ष्‍य भाषा की संरचना लगभग एक जैसा ही है; जैसे हिंदी-पंजाबी, हिंदी-उर्दू, मराठी-गुजराती आदि की।
निष्‍कर्ष:
अनुवाद-कर्म राष्ट्र सेवा का कर्म है। यह अनुवादक ही कर सकता है जो दो संस्कृतियों, राज्यों, देशों एवं विचारधाराओं के बीच सेतुका काम करता है।




Thursday, June 21, 2012

Bengali Translation combines business with People

Translation is not an easy task. Only experienced and expert translators can execute your work properly. One must be aware of colloquial style of the language. The translator must understand the difference between ‘Sudhho Bhasha’ and ‘Cholit Bhasha’.  Because of this experienced Bengali translators are always on demand and earn handsome amount of money. Translators work as freelancers or join a translation agency.

Are you thinking to launch a new product in eastern India? Then you should prepare the product manual in Bengali to reach maximum number of customers. For that, you need quality Bengali translation. And that’s why the demand of translation services is increasing with globalization.

Bengali belongs to Indo-Aryan language group. Bengali is the official language of Bangladesh and one of the 23 regional languages recognized by India. It is also the official language of Indian states West Bengal and Tripura. Bengali is the sixth most spoken language of the world. In India, Bengali is second most spoken language only after Hindi. According to UNESCO, Bengali is the sweetest language of the world.

Bengali language is widely used in schools, colleges, offices in Kolkata, the economic center of Eastern India and in Dhaka, the capital of Bangladesh. The knowledge of Bengali can help you to increase your product market share or to execute business deals effectively. Kolkata is a major hub for industries like engineering, banking, IT, leather, shipping, Jute. So quality Bengali translation is needed in almost every industry. Many MNC companies are opening their offices or launching their products in eastern India. To capture the rural market they are taking help of English to Bengali translations. Even for machine installation we need translation services.

Bengali literature is indeed very rich. There are so many Bengali writers famous for their novels, poems, dramas and short stories all over the world. So there is constant demand of Bengali literature translation. Bengali poet "Rabindranath Tagore" became the first non-European to win the Nobel Prize for Literature. His poems were translated from Bengali into many languages.

An expert translator must have some domain knowledge about the subject he/she is translating. Translation does not mean word by word conversation. One must understand the meaning of the concerned text. In literature translation, the understanding of inner meaning of poems or novels plays a vital role. Without understanding the literature one can’t translate the text appropriately. That’s why translation agencies only prefer native translators to execute the task.

Saturday, June 16, 2012

Difficulty with Middle Eastern Languages during Desktop Publishing


Working with Middle Eastern Languages is like you are watching the reflection of English Language on your desktop. It’s listing style, numeric style, and paragraph alignment is completely different. Here in this post we are going to explain about the difficulty working with Middle Eastern Languages.




Working with ID Format

Right to left languages always aligned from right. But if your source file have a justified paragraph then you need to do it same in the translated document. For that you have to work with ME versions or you need to work with In.tools Plug-in. It’s word ready composer can help you to typeset your document.

 

Working with CDR Format

If your source file is in CDR Format and you want to translate and publish it in Arabic, Farsi, or any Middle Eastern Language, it is a tough job. For that you need to use different software, InPage. Most of the graphic designers and type-setters use this to type ME Languages and for typography options.You need to copy your text in InPage then need to export with EPS and after that you can import in CDR.

 

Detaching and Attaching Farsi Alphabets

Working with Farsi is not different from other ME Languages. But while pasting the text from Word to InDesign, you can face a problem. Some alphabets attached after pasting. And if you are non-language DTPer, than you will not find this problem. To be safe from these risks you need to handle your work to a language specialist or language Translation Services provider.

We hope this post will help you to find a better option to get done your work. There are more difficulties, we will discuss in future. If you have something to share it in the comment option. Your experience can help to find to better option to deal with these languages. Desktop publishing, a technological publishing method of educational series of products designed to operate in a teacher-led classroom etc..