Friday, March 26, 2010

अनुवाद तथा शब्‍द चयन

कोई भी प्राणी किसी भी कार्य में जन्‍मजात पारंगत नहीं होता है। वह जन्‍म के बाद ही सीखना शुरू करता है तथा आजीवन सीखता ही रहता है। जब वह मृत्‍यु को प्राप्त होता है तो अपने बाद की पीढ़ी के लिए सीखने की प्रेरणा बन जाता है। ठीक इसी पद्धति पर आधारित है हमारी अनुवाद शैली। अनुवाद करना तो सभी जानते हैं और अपने आप में सर्वश्रेष्ठ अनुवाद भी करते हैं, लेकिन ऐसा अनुवादक विरला ही होगा जिसके लिए लोग कहते हों कि वह सर्वश्रेष्ठ अनुवादक है, कोई भी उससे उचित अनुवाद नहीं कर सकता है। इसका कारण उसका बौद्धिक ज्ञान अथवा कार्यकुशलता नहीं बल्‍कि शब्‍द चयन होता है।

किसी भी भाषा में एक शब्‍द के कई अर्थ अथवा पर्याय होते हैं और सभी अपने आप में तार्किक होते हैं, लेकिन अपने अनुवाद में उपयुक्त शब्‍दों का चयन कर उचित वाक्‍य संरचना करना ही अनुवाद शैली है। कोई व्‍यक्ति इस कला को जीवनपर्यन्त सीखता ही रहता है, क्योंकि यह एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। इस कला को विकसित करने के लिए पर्याप्त समय तथा कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। यह सर्वविदित है कि किसी शब्‍द चयन को सही ठहराने के लिए आपके पास अधिक संख्‍या में तर्क भी होने चाहिए, क्योंकि आपके शब्‍द चयन को गलत ठहराने के लिए समीक्षक का मात्र एक अधिक तर्क भी पर्याप्त है। इसलिए किसी भी अनुवादक को सदैव प्रयासरत होना चाहिए कि वह नवीनतम तथा यथासंभव शब्‍द भिन्‍नताओं को समझे और उसे अपने अनुवाद में प्रयुक्त भी करे। इसके लिए यह आवश्यक है कि वह कभी पढ़ना न छोड़े।

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1 comment:

  1. हालांकि, आपने बहुत ही अच्छा लिखा है, लेकिन इसकी भाषा-शैली थोड़ी और सहज हो सकती थी। भाषा का प्रवाह शुरू के एक-दो वाक्यों में बाधित हो रहा है।

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